Thursday, March 19, 2020

Coronavirus : कोरोना की दवा बनाने वाली टीम में यूपी का वैज्ञानिक

Image result for Coronavirusपूरी दुनिया में पांव पसार चुका कोरोना वायरस देशभर के वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बना हुआ है क्योंकि अभी तक इसका कोई भी कारगर इलाज सामने नहीं आ सका है। कई देशों के वैज्ञानिक इस दिशा में प्रयासरत हैं। ऐसा ही एक प्रयास स्विटजरलैंड के लॉजेन विश्वविद्यालय के बायो केमेस्ट्री लैब में भी चल रहा है।

खास बात यह है कि इस लैब में वैज्ञानिकों की जो टीम कोरोना वायरस के इलाज के लिए दवा विकसित करने में जुटी हुई है, उसमें प्रयागराज के यूइंग क्रिश्चियन कॉलेज (ईसीसी) से बीएससी करने वाले वैज्ञानिक डॉ. सत्यम तिवारी भी शामिल हैं। डॉ. सत्यम मूलत: चित्रकूट के रहने वाले हैं। 'हिन्दुस्तान' से टेलीफोन पर हुई बातचीत में डॉ. सत्यम ने बताया कि कोरोना के इलाज के लिए उनकी लैब में जो दवा विकसित की गई है, उसका चूहे पर सफल परीक्षण हो चुका है। इस नतीजे से डॉ. सत्यम तो उत्साहित हैं ही, उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक डॉ. संजय मिश्रा और डॉ. उमेश प्रताप सिंह सहित ईसीसी के शिक्षक भी इस उपलब्धि पर गदगद हैं।
डॉ. सत्यम का दावा है कि 2009 में कोरोना से मिलती जुलती एक और खतरनाक बीमारी चीन में हुई थी। उनके विश्वविद्यालय के प्रो. पीयर ग्लोबिनाश ने इसी के बाद बायो केमेस्ट्री लैब में दवा बनाने की दिशा में काम शुरू किया था। डॉ. सत्यम का दावा है कि मानव शरीर में मिलने वाले मॉलीक्यूलर सेप्रान प्रोटीन (एचएसपी) से कोरोना का काफी हद तक उपचार संभव है।
उन्होंने बताया कि सार्स (एसएआरएस) वायरस में फेफड़ों की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। श्वांस लेने में दिक्कत इसी से शुरू होती है। उन्होंने बताया कि दवा बनाने की प्रक्रिया के दौरान मनुष्य के शरीर में पाए जाने वाले मॉलीक्यूलर सेप्रान प्रोटीन (एचएसपी) को जिन क्लोनिंग के माध्यम से वैक्टीरिया में परिवर्तित कर इस वैक्टीरिया को प्यूरीफाई कर दवा तैयार की गई है। 
डॉ. सत्यम ने ईसीसी से बीएससी करने के बाद झांसी में बायो टेक्नोलाजी से एमएससी किया। इसके बाद सीएसआईआर आईजीआईबी से पीएचडी की डिग्री हासिल की। वह लॉजेन विवि में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं।

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